2021 से 2025 के बीच, भारतीय मिडकैप शेयरों ने कुल 270 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया, जबकि लार्जकैप शेयर उसी अवधि में केवल 124 प्रतिशत तक सीमित रहे — यानी लगभग 2.1 गुना बेहतर प्रदर्शन। हालांकि लगातार तेज़ी के बाद, 2025 में अब तक मिडकैप इंडेक्स लार्जकैप्स से करीब 2.2 प्रतिशत पीछे हैं। इसने एक नई बहस को जन्म दिया है — क्या यह गिरावट मिडकैप ग्रोथ में दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों के लिए दीर्घकालिक अवसर है?
बड़ी तस्वीर: मिडकैप्स ने लार्जकैप्स को पछाड़ा (2021–2025)
पिछले पाँच वर्षों में भारतीय इक्विटी बाज़ार ने मिडकैप शेयरों में जबरदस्त रैली देखी है, जिसने लार्जकैप शेयरों को काफी पीछे छोड़ दिया। निफ्टी मिडकैप 150 इंडेक्स ने लगभग 228.4 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दिया है, जबकि निफ्टी 50 ने इसी अवधि में केवल 110.6 प्रतिशत रिटर्न दिया — जो मिडकैप ग्रोथ साइकिल की मजबूती और गहराई को दर्शाता है। कुल मिलाकर, इस अवधि में निफ्टी मिडकैप 150 ने 270 प्रतिशत से अधिक रिटर्न दिया, जबकि निफ्टी 50 लगभग 124 प्रतिशत तक सीमित रहा — यानी मिडकैप्स ने लार्जकैप्स की तुलना में दो गुने से ज़्यादा बेहतर प्रदर्शन किया। यह स्पष्ट अंतर मजबूत अर्निंग ग्रोथ, विभिन्न सेक्टर्स में भागीदारी, और निवेशकों की मिडकैप्स में बढ़ती रुचि को दर्शाता है, जिसने हाल के वर्षों में मिडकैप सेगमेंट के शानदार प्रदर्शन को आगे बढ़ाया है।

कैलेंडर वर्ष रिटर्न तुलना: निफ्टी 50 बनाम निफ्टी मिडकैप 150 (2021–2025)
कुल रिटर्न की तुलना: निफ्टी मिडकैप 150 बनाम निफ्टी 50 (2021–2025)
हाल के वर्षों में मिडकैप शेयरों के शानदार प्रदर्शन का श्रेय संरचनात्मक और चक्रीय दोनों कारकों के मेल को जाता है, जिन्होंने उन्हें लार्जकैप्स की तुलना में मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है। मिडकैप कंपनियों ने महामारी के बाद की तेज आर्थिक गति का लाभ उठाया, अपनी ऑपरेशनल फुर्ती और सेक्टोरल विविधता का उपयोग करते हुए मैन्युफैक्चरिंग, कैपिटल गुड्स, फाइनेंशियल सर्विसेज़ और कंज्यूमर-ओरिएंटेड सेगमेंट्स में वृद्धि के अवसरों को पकड़ा। इसका नतीजा यह रहा कि इन कंपनियों ने अपने बड़े प्रतिस्पर्धियों की तुलना में बेहतर प्रॉफिट ग्रोथ और अर्निंग मोमेंटम दर्ज किया।
इसके अलावा, मजबूत म्यूचुअल फंड इनफ्लो और बढ़ती रिटेल भागीदारी से उत्पन्न लगातार घरेलू लिक्विडिटी ने एक स्थिर मांग आधार प्रदान किया, जिसने मूल्यांकन (valuations) को मज़बूती दी। फंडामेंटल दृष्टिकोण से, मिडकैप कंपनियों की अर्निंग्स पर शेयर (EPS) और टैक्स के बाद मुनाफ़े (PAT) की वृद्धि ने लार्जकैप्स को पीछे छोड़ दिया। कई मझोली कंपनियों ने डबल-डिजिट अर्निंग्स ग्रोथ दिखाई, जो मिडकैप ग्रोथ साइकिल की गहराई और उसकी मजबूती को दर्शाता है।
2025 की करेक्शन की रचना: आखिर क्या बदला?
2025 की शुरुआत में बाजार का परिदृश्य काफ़ी बदल गया, जिससे दो साल की मज़बूत बढ़त के बाद मिडकैप शेयरों के लिए अपेक्षाकृत कमज़ोर प्रदर्शन का दौर शुरू हुआ। जहाँ निफ्टी 50 ने साल की अब तक की अवधि में लगभग 6.3 प्रतिशत का स्थिर रिटर्न दिया, वहीं निफ्टी मिडकैप 150 केवल 4.6 प्रतिशत की मामूली बढ़त दर्ज कर पाया, और कई मिडकैप फंड तो नकारात्मक क्षेत्र में फिसल गए। 2025 YTD में औसतन मिडकैप म्यूचुअल फंड रिटर्न –2 प्रतिशत से +4 प्रतिशत के बीच रहा, जो लार्जकैप की स्थिरता और मिडकैप की बढ़ती अस्थिरता के बीच बढ़ते अंतर को दर्शाता है।
अक्टूबर 2025 में निफ्टी मिडकैप 150 लगभग 52 प्रतिशत प्राइस-टू-अर्निंग (P/E) प्रीमियम पर निफ्टी 50 की तुलना में ट्रेड हो रहा था — यह एक ऊँचा स्तर था जो अत्यधिक आशावाद का संकेत दे रहा था और अंततः इसने संस्थागत निवेशकों द्वारा प्रॉफिट बुकिंग को प्रेरित किया। इसी समय, मज़बूत अमेरिकी डॉलर और लगातार विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली से उत्पन्न कठिन वैश्विक माहौल ने निवेशकों को सुरक्षित विकल्पों की ओर झुकने पर मजबूर किया। परिणामस्वरूप, निवेशक लार्जकैप और क्वालिटी-ओरिएंटेड शेयरों की ओर रुख करने लगे।
इस सेक्टर रोटेशन ने न केवल सावधानीपूर्ण निवेश दृष्टिकोण को दर्शाया, बल्कि बढ़ती अनिश्चितता के बीच क्लियर अर्निंग्स विजिबिलिटी और लिक्विडिटी के प्रति बाजार की प्राथमिकता को भी उजागर किया। इसके परिणामस्वरूप, 2025 के अधिकांश समय में मिडकैप शेयरों पर दबाव बना रहा।
निफ्टी मिडकैप 150 का P/E प्रीमियम निफ्टी 50 के मुकाबले (2021–2025)
इन प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच, 2025 में लगभग 60 प्रतिशत मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर अपने 200-दिनों के मूविंग एवरेज से नीचे ट्रेड कर रहे थे, जो बाजार में व्यापक बिकवाली (broad-based selling) का संकेत देता है।
मूल्यांकन में सुधार: अवसर या जाल?
विश्लेषकों का मानना है कि 2025 की मिडकैप करेक्शन किसी संरचनात्मक कमजोरी का संकेत नहीं है, बल्कि कई वर्षों की तेज़ बढ़त के बाद हुआ एक स्वस्थ मूल्यांकन सुधार (valuation reset) है।
- कमाई की रफ़्तार बरकरार: प्राइस करेक्शन के बावजूद, मिडकैप कंपनियों की अर्निंग्स ग्रोथ मज़बूत बनी हुई है — Q1 FY26 में उनकी EPS ग्रोथ औसतन 27 प्रतिशत साल-दर-साल रही, जबकि लार्जकैप्स के लिए यह केवल 5 प्रतिशत रही।
- मूल्यांकन अभी भी ऊँचा लेकिन सामान्य होने की दिशा में: लार्जकैप्स की तुलना में मिडकैप्स का वैल्यूएशन प्रीमियम अभी भी काफ़ी ऊँचा है (लगभग 52 प्रतिशत), लेकिन यह 2024 के शिखर स्तर से थोड़ा कम हुआ है, जिससे चयनात्मक निवेश (selective entry) अब अधिक आकर्षक बन गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि पिछले दो दशकों में मिडकैप्स ने इस तरह का प्रदर्शन केवल कुछ ही बार किया है, इसलिए ऐसी तेज़ी के बाद करेक्शन आना स्वाभाविक है। हालाँकि, भारत के घरेलू विकास चक्र से जुड़ी दीर्घकालिक संरचनात्मक संभावनाएँ अब भी मज़बूत और अक्षुण्ण हैं।
क्या 2025 की सुस्ती एक खरीद संकेत है?
मुख्य निवेश प्रश्न यह है: क्या यह दुर्लभ अंडरपरफॉर्मेंस मिडकैप इक्विटीज़ में नए या बढ़े हुए निवेश का अवसर प्रदान करता है?
- ऐतिहासिक पैटर्न: पिछले आँकड़े दिखाते हैं कि मिडकैप्स आमतौर पर आर्थिक पुनरुद्धार (economic recovery) और मज़बूत घरेलू लिक्विडिटी के दौर में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, लेकिन अस्थिर या रिस्क-ऑफ वर्षों में कमज़ोर रहते हैं — और 2025 ऐसा ही एक वर्ष रहा है। हालाँकि, पिछले पाँच वर्षों में मिडकैप्स ने लगातार लार्जकैप्स से बेहतर रिटर्न दिया है, भले ही उनके साथ ज़्यादा अस्थिरता (volatility) भी रही हो।
- मूलभूत स्थिति मज़बूत बनी हुई है: 2026 के लिए मिडकैप कंपनियों की अर्निंग्स विज़िबिलिटी (Earnings Visibility) काफ़ी मज़बूत है, क्योंकि घरेलू मांग और कॉर्पोरेट विस्तार जारी हैं — जिन्हें सरकारी सुधारों और आरबीआई की सहायक नीतियों (accommodative RBI policies) का भी समर्थन प्राप्त है। RBI policies.
- विस्तृत भागीदारी: लार्जकैप रैलियों के केंद्रित स्वरूप के विपरीत, मिडकैप रैलियाँ अधिक व्यापक होती हैं, जो अक्सर कई सेक्टर्स और उभरते हुए नए लीडर्स को शामिल करती हैं।
जोखिम और रणनीतिक विचारणाएँ
हालाँकि मिडकैप वैल्यूएशन लंबे समय के ऐतिहासिक औसत से ऊपर बना हुआ है — जिसका अर्थ है कि निकट अवधि में सुरक्षा का मार्जिन सीमित है — लेकिन वर्तमान स्तरों पर इस सेगमेंट में आक्रामक निवेश करना निवेशकों को अल्पकालिक गिरावट (short-term drawdowns) के जोखिम में डाल सकता है, खासकर यदि वैश्विक या घरेलू आर्थिक अस्थिरता (macro volatility) बनी रहती है। इसके अलावा, मिडकैप शेयरों में लार्जकैप्स की तुलना में लिक्विडिटी और प्राइस वोलैटिलिटी के प्रति अधिक संवेदनशीलता देखी जाती है, जिससे इनके दामों में ऊपर और नीचे दोनों दिशाओं में ज़्यादा तेज़ उतार-चढ़ाव हो सकता है।
रणनीतिक दृष्टिकोण से, क्रमिक निवेश (staggered investment) अपनाना — जैसे कि विविधीकृत मिडकैप फंड्स में सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से पूंजी निवेश करना — निवेशकों को विकास के मौजूदा अवसरों में भागीदारी और जोखिम प्रबंधन के बीच संतुलन बनाने में मदद कर सकता है। साथ ही, मिडकैप निवेश को स्थिर लार्जकैप आवंटन (allocation) के साथ जोड़ना एक सावधानीपूर्ण और समझदार रणनीति है, जो बाजार में करेक्शन या बढ़ते जोखिम से बचाव के समय पोर्टफोलियो को स्थिरता और मजबूती प्रदान करती है।
निष्कर्ष: धैर्यवान निवेशक के लिए समय द्वारा परखी गई दृढ़ आस्था
2025 में मिडकैप्स की 2.2 प्रतिशत की सुस्ती को किसी संरचनात्मक चेतावनी के रूप में नहीं, बल्कि कई वर्षों की तेज़ बढ़त के बाद हुए एक स्वाभाविक चक्रीय सुधार (cyclical clean-up) के रूप में देखा जाना चाहिए। यदि भारत की विकास यात्रा अनुमानित रूप से जारी रहती है और वैल्यूएशन प्रीमियम सामान्य स्तर पर लौटते हैं, तो मिडकैप सेगमेंट आने वाले बाजार चरण में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए मज़बूत स्थिति में होगा।
सावधान और समझदार निवेशक, जो अल्पकालिक अस्थिरता को सहन करने के इच्छुक हैं, वे 2025 जैसी करेक्शन को रणनीतिक एकत्रीकरण (strategic accumulation) का अवसर मान सकते हैं — और मिडकैप सेगमेंट के ऐतिहासिक रूप से बेहतर प्रदर्शन और उच्च विकास क्षमता को ध्यान में रखते हुए लंबी अवधि का दृष्टिकोण बनाए रख सकते हैं।
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मिडकैप मोमेंटम थमा: क्या 2025 की गिरावट अगले तेज़ दौर की तैयारी है?